गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

मैंने कुछ सिक्के  जोड़े थे  पिछले 20 सालों में --

ख्वाब के थे,मेहनत के थे,परवानगी के थे---

बालों की चाँदी पे नीम-रात सी गहरी नींद के रंग चढा़ने के खर्चे के लिए भी ----

पर दौर ऐसा आया कि वो सिक्के अब जिंदगी के बाजार में  "Legal tender" ही  नही  रहे ---

और उसपर सितम ये कि-- उन्हे बदलने वाला कोई बैंक भी नही ।