राँझा और "खाप"
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एक और हीर फना हुई आज,
उसके अपने ही थे इस बार भी ,
कल "खाप" की पंचायत जो थी।
ओ बे-गैरत राँझे ----
नहीं सुनता अब भी तेरा खुदा ,
या "इनके " खुदा कोई और है ?
---रामजी गिरि
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एक और हीर फना हुई आज,
उसके अपने ही थे इस बार भी ,
कल "खाप" की पंचायत जो थी।
ओ बे-गैरत राँझे ----
नहीं सुनता अब भी तेरा खुदा ,
या "इनके " खुदा कोई और है ?
---रामजी गिरि